میں تیری محبت تو میری ہے چاہت تو عشق ہے میرا میں تیری ہوں راحت
آغاز ہو اس کے آنے سے، انجام اسی کے جانے سے مختار وہ میری خوشیوں کا بے ذوق ہوا میں زمانے سے
عشق خدا سے بڑھ کر محبت نہیں کوئی جس نے نہ اس کو مانا رسوا ہوا وہی
محفل میں آئے جب وہ موسم بدل گیا پا کر ہمارے قرب میں انکو زمانہ یہ جل گیا
کہہ دے اگر یہ کوئی تم ہو کسی سے کمتر دینا جواب اس کو تم خوبیوں میں بڑھ کر
इस क़दर तू है मेरे अक़ल-ओ-दिल पे छा गया मैं कहीं भी जाऊं लेकिन तुम ही मेरे साथ हो ।।
तुम से सीखा, तुम से जाना, तुम से पाया है मैंने इश़क़ मैं खुद से पहले एक तुम्हारी ज़ात हो
इश़क़ है ऐसी दवा ज़ख्मों को देती जो जन्म वो भी कया र्दद ए मौहब्बत जिसमे न हासिल मात हो
र्दद ए तनहाई भी ऐमन खूब ही एक र्दद है यह न हो तो कया अहम फिर खुशनुमा लमहात हो
आँख भरती है हमारी, अश़क गिरते हैं तुम्हारे ऐसी चाहत गर मिले तो कया हसीँ फिर बात हो