लाख चाहा रोक ले हम पर रोक ना पाए कभी तेरे आगे सर झुकाया पर तुम देख ना पाए कभी
हमारी जान ले लेते मगर गम तो यह ना देते तुम्हारी गर खुशी थी यह तो हम चुपचाप सह लेते
तुम्हें तो चाह है बस एक शोहरत और ऊंचाई से सोचा है तुमने यह खुशी क्या है भलाई में
कभी तुमने यह सोचा है कभी खुद से यह पूछा है वफ़ा किस चीज को कहते मोहब्बत नाम है किसका
तुम हमसे यूं जुड़े हो के रवि से रोशनी जुड़ती हमारे दिल में बसे हो यूं कवि से चाशनी जुड़ती
मोहब्बत तुमसे इतनी है भुलाना चाहै भी गर हम तो भुला ना पाएंगे तुमको यह कैसा इश्क है जानम